नई है शाख़ गुलों पर जमाल आया है
गिरा फिराक़ का पर्दा विसाल आया है
गले लगाके सुना हाले-दिल मुसाफ़िर को
तेरी तलाश में होकर निढाल आया है
है चांद रात सुलगती है ख़्वाब की टहनी
फिर आज नींद में तेरा ख़याल आया है
जो आस्मां पे बसाया था जलके राख हुआ
घर इक ज़मीं पे बनाऊं ? सवाल आया है
परिंदे बाग़ में रोते हैं ख़ून के आंसू
फिर एक बार शहर में अकाल आया है
जगाऊं दिल को चलूं आज उसको समझा दूं
मेरे लहू में बला का उबाल आया है
हटाओ मलबा इमारत नयी बुलंद करें
ज़माना हाथ में लेकर कुदाल आया है
गिरा फिराक़ का पर्दा विसाल आया है
गले लगाके सुना हाले-दिल मुसाफ़िर को
तेरी तलाश में होकर निढाल आया है
है चांद रात सुलगती है ख़्वाब की टहनी
फिर आज नींद में तेरा ख़याल आया है
जो आस्मां पे बसाया था जलके राख हुआ
घर इक ज़मीं पे बनाऊं ? सवाल आया है
परिंदे बाग़ में रोते हैं ख़ून के आंसू
फिर एक बार शहर में अकाल आया है
जगाऊं दिल को चलूं आज उसको समझा दूं
मेरे लहू में बला का उबाल आया है
हटाओ मलबा इमारत नयी बुलंद करें
ज़माना हाथ में लेकर कुदाल आया है
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