हर एक सिम्त खिज़ां की, बहार मेहमां है
गुलों का बाग़ पे देखो तो कितना एहसां है
हर एक चश्म मेरे दर्द से पशेमां है
बस एक तू है जो हर आह से गुरेज़ां है
फरेब दे के मुझे मुस्कुराए जाता है
ये आईना क्या मेरे अक़्स का निगेहबां है
खड़ा हूं हाथ में लेकर गुलाब कब से मैं
हर एक शख़्स मुझे देखकर यां हैरां है
तुम्हारा ख़ाब मेरे ख़ाब से अलग क्यों है
हमारी नींद में शब का ख़लल तो यक्सां है
तू फिर बहार की बातें न कर इसे लेकर
ये रहगुज़र तो तेरे ही सफ़र से वीरां है
किसी तरह हो इसे बह्र तक तो जाना है
तुझे जो कुफ़्र है दरिया तो मुझको ईमां है
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* यक्सां- एक सा , बह्र- समुद्र
गुलों का बाग़ पे देखो तो कितना एहसां है
हर एक चश्म मेरे दर्द से पशेमां है
बस एक तू है जो हर आह से गुरेज़ां है
फरेब दे के मुझे मुस्कुराए जाता है
ये आईना क्या मेरे अक़्स का निगेहबां है
खड़ा हूं हाथ में लेकर गुलाब कब से मैं
हर एक शख़्स मुझे देखकर यां हैरां है
तुम्हारा ख़ाब मेरे ख़ाब से अलग क्यों है
हमारी नींद में शब का ख़लल तो यक्सां है
तू फिर बहार की बातें न कर इसे लेकर
ये रहगुज़र तो तेरे ही सफ़र से वीरां है
किसी तरह हो इसे बह्र तक तो जाना है
तुझे जो कुफ़्र है दरिया तो मुझको ईमां है
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* यक्सां- एक सा , बह्र- समुद्र
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