__________________________________
दोस्तों की शाम को गुलज़ार करके देखिए
इश्क़ के सहरा को फिर बाज़ार करके देखिए
ज़िंदगी के हुस्न का हर बाब खुलता जाएगा
दैरो-हरम के द्वार को दीवार करके देखिए
जल रही है दिल में जो शामो-सहर इक रात से
ख़्वाब की उस ईंट को मीनार करके देखिए
दर्द की शिद्दत है क्या शायद उसे मालूम हो
चारागर को इक दफ़ा बीमार करके देखिए
क्या पता दिल की ख़लिश मानिंदे-कस्तूरी लगे
आज फिर उसकी नज़र का वार करके देखिए
ख़ूने-दिल से हमने सींचा है ये काग़ज़ का गुलाब
खिल उठेगा आप कुछ गुफ़्तार करके देखिए
देखिए हमको नहीं शेरो-ओ-सुख़न से वास्ता
हमको ग़ालिब की तरफ़ दीदार करके देखिए
___________________________________
यह ग़जल" डर्टी पिक्चर ' के समान है ।माफ करेंगे कहने का अभिप्राय यह है कि यह ग़जल सभी तबके के व्यक्तियों के सराहना के योग्य है ।चाहे वह कोई अतीसाधारण पाठक हो या बुद्धिजिवी वर्ग ।जिस प्रकार 'डर्टी पिक्चर ' में मिलन लुथरिया ने सभी प्रकार के दर्शक वर्ग का ध्यान रखा है। उसी प्रकार इस ग़जल में नगमा निगार ने सभी तरह के पाठको का ध्यान रखा है।" डर्टी पिक्चर ' में जो डायलोग प्रयुक्त हुए है वो सभी वर्ग के दर्शको के लिए है ।जैसे ..मुझे जो चाहिए उसका मज़ा रत को आता है ...लोग समान देखते है दुकान नही ...इसी प्रकार ऐसे कई डायलोग भी है जो अदीवो का ध्यान खिचता है ।जैसे . .....न्युज पेपर का जीवन एक दिन का होता है सिल्क लेकिन वह सबूत वर्षों के लिए बन जाता है ...यह मुझे क्या हो गया है सिल्क तुमसे लरते- लरते तुम्हारे लिए लारने लगा हु मै ,या फिर क्या बस दिल टूटता है शरीर का हर अंग मातम मनाता है ...इन्सान की पलके तब नही झपकती जब वह किसी अपने को देखता है ।एवम प्रकार से ये जितने भी मसाले फिल्म में डाले गये है वो केवल गुदगुदाने के लिए ही नहीं सोचने को भी विवश करते है ।अकेली स्त्री के संघर्ष की मार्मिक दास्तान तो यह फिल्म है ही ।उसी प्रकार यह गज़ल नगमा निगार के वीतराग का परिचायक है । मेरे वीतराग कहने पर वे पाठक आपति नही करेंगे जो नगमा निगार को बेहतर जानते है ।इस गज़ल के भाव ,इसका संयोजन किशोर उम्र के पाठको को गुदगुदाने से लेकर बुधिजिवियो तक के सोचने को विवश करता है अगर बुद्धिजिवी सोचने की तकलीफ करना चाहे तो ।फ़नकार की यही विशेषता होती है की वह सबके भाव को साथ लेकर चलता है और हम इनके इसी विशेषता के कायल है ।लेकिन एक बात जो इस गज़ल में मुझे खटकती है वह यह की भावुकता के बाद भी ये रुहानी मसरत देनेवाली नही है ।नगमा निगार को इस तरफ ध्यान देने की सख्त जरूरत है । रवि रंजन कुमार ठाकुर
जवाब देंहटाएं