------------------कविता-श्रृंखला
[12]
मैं किसी काम में बिज़ी था
जब मैंने उससे कहा : कैच यू लेटर
[12]
मैं किसी काम में बिज़ी था
जब मैंने उससे कहा : कैच यू लेटर
यू कान्ट कैच मी : उसने कहा
कैच मी इफ यू कैन : मैंने सुना
कैच मी इफ यू कैन : मैंने सुना
काम अधूरा छोड़कर
मैं उसकी तलाश मैं निकल पड़ा
मैं उसकी तलाश मैं निकल पड़ा
उसने अपना चेहरा किसी फूल से बदल लिया था
बसंत के विदा लेने से पहले
अब मुझे उसको पहचानना था
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[दिलीप शाक्य ]
बसंत के विदा लेने से पहले
अब मुझे उसको पहचानना था
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[दिलीप शाक्य ]
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जवाब देंहटाएंदिलीप जी आपकी कविताएं बहुत ही अच्छी व शब्दों से रंगत है आप की कविताओं में शब्दों का एक महत्व्पूर्ण संगम बना रखा है आप इसी प्रकार की रचनाओं को शब्दनगरी पर भी लिख सकते हैं वहां भी जीने की राह जैसी रचनाएं प्रकाशित हैं जिससे आपकी रचनाएं अधिक से अधिक लोगो तक पहुंच सके ....
जवाब देंहटाएंbuy telegram channel members
जवाब देंहटाएंआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
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