आसमान में एक पीले त्रिकोण की तरह
रुका हुआ हूं मैं
बरसों से
बरसों से
धूप में जलता हूं तो बारिश मुझे
नहला देती है
अंधेरे से डरता हूं तो चांदनी मुझे
बहला देती है
नहला देती है
अंधेरे से डरता हूं तो चांदनी मुझे
बहला देती है
अपनी ही दिशाओं का बंदी मैं
किसी स्थगित यात्रा के कटे हुए वृत्तांत-सा
टंगा हूं अनन्त में
किसी स्थगित यात्रा के कटे हुए वृत्तांत-सा
टंगा हूं अनन्त में
मेरी भुजाओं में अलग होने की ताक़त तो है
मग़र एक अदृश्य वृत्त है उनके शीर्ष पर
निरंतर घूमता हुआ
बंधा हूं मैं उसी के तिलिस्म से
बेबस
मग़र एक अदृश्य वृत्त है उनके शीर्ष पर
निरंतर घूमता हुआ
बंधा हूं मैं उसी के तिलिस्म से
बेबस
धरती की हरीतिमा
और आकाश की नीलिमा के बीच जलते हुए
सूर्य से कहो
कि किसी बर्फीले प्रदेश में जाकर
ख़ुदकुशी कर ले
और आकाश की नीलिमा के बीच जलते हुए
सूर्य से कहो
कि किसी बर्फीले प्रदेश में जाकर
ख़ुदकुशी कर ले
अगर नहीं पिघला सकता
मेरी भुजाओं के कसकते हुए संधि-स्थल
_____________
मेरी भुजाओं के कसकते हुए संधि-स्थल
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[दिलीप शाक्य]
सामर्थ्य के होते हुए कुछ न कर पाने की कसमसाहट को खूबसूरत शब्दों में समेटा !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण !