वो चिड़िया जिसके सिर पर सुंदर कलगी है
वो चिड़िया जिसके पंख बहुत चमकीले हैं
वो चिड़िया जिसकी बोली के सुर गीले हैं
उस चिड़िया को तुम पिंजरे से आज़ाद करो
वो चिड़िया जिसने दूब के धानी तिनकों से
इक पेड़ की शाख पे एक नशेमन छाया था
जिसमें चिड़िया के सपनों का सरमाया था
उस चिड़िया को उन सपनों में आबाद करो
उस चिड़िया पर जो जुल्मो-सितम की बारिश की
तुम अपने दिल से पूछो कितने पाप किए
जो औरों से करवाए और जो आप किए
उन पापों का अब खुलकर पश्चाताप करो
उस चिड़िया को तुम पिंजरे से आज़ाद करो
उस चिड़िया को उन सपनों में आबाद करो
(-दिलीप शाक्य )
गूढ़ अर्थ लिए सुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंsarthak rachana.
जवाब देंहटाएंAchchhi rachana ke liye badhi
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (19-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत ही सुंदर गहन भाव अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंbahut acchi bhavon ki abhiwayakti....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... बिलकुल आज़ाद करना देना चाहिए ... मुक्त उड़ान ही उनका जीवन है .... उन्हें जीवन जीने दो ...
जवाब देंहटाएंis baar ek alag ras aa raha hai nai kavitao me
जवाब देंहटाएंbahut hi suder, marmik kavita hai, badhai, aise hi likhte rahe.
जवाब देंहटाएंdilnashin kavita ke liye sirf tin shbd kahe ja sakte hai.........sadhu..sadhu..sadhu.aur iske kavi sadhuvad ke hakdar hain.
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